हिमाचल प्रदेश ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से हिमाचल भवन, चंडीगढ़ में पड़ोसी राज्यों के ड्रग नियामक प्रमुखों की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर डॉ. मनीष कपूर ने की। डॉ. कपूर ने बताया कि इस बैठक का उद्देश्य मनोदैहिक (नशीली) दवाओं की अवैध सप्लाई, नकली दवाओं की समस्या और अंतर्राज्यीय समन्वय को और मज़बूत करना है। बैठक में लोटिका खजूरिया, स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर जम्मू-कश्मीर, संजीव गर्ग स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर पंजाब, ललित गोयल स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर हरियाणा, तजबर सिंह स्टेट ड्रग्स कंट्रोलर उत्तराखंड, अखिलेश जैन प्रतिनिधि उत्तर प्रदेश शामिल रहे।
डॉ. कपूर ने बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने कैबिनेट के समक्ष ऐसे समन्वय की ज़रूरत पर जोर दिया था, जिससे नशे के बढ़ते दुरुपयोग और नकली दवाओं की समस्या पर काबू पाया जा सके। बैठक को ऑनलाइनब भी संबोधित किया गया जिसमें जितेंद्र संजटा निदेशक स्वास्थ्य सुरक्षा व विनियमन, ज्ञानेश्वर सिंह एडीजीपी राज्य सीआईडी, मनोज सिंह आयुक्त एफडीए हरियाणा, मोहित हांडा एसपी एनसीबी हरियाणा शामिल हुए।
बैठक में यह तय हुआ कि पड़ोसी राज्यों के बीच एक आंतरिक समन्वय तंत्र विकसित किया जाए, ताकि नकली दवाओं और मनोदैहिक दवाओं के अवैध उपयोग पर निरंतर निगरानी रखी जा सके। सभी नियामकों ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव रखा कि भारत सरकार को “वन नेशन, वन डेडिकेटेड पोर्टल” की स्थापना करनी चाहिए, जिससे दवा निर्माण से लेकर खुदरा बिक्री तक मनोदैहिक दवाओं की ट्रैकिंग की जा सके। यह पोर्टल ड्रग नियामकों, पुलिस, सीबीएन, एनसीबी और आबकारी विभाग समेत सभी प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सुलभ होना चाहिए। नियामकों का मानना है कि युवाओं को नशे की चपेट से बचाने के लिए यह कदम समय की मांग है।
डॉ. कपूर ने आगे बताया कि पिछले माह डीसीए अधिकारियों ने स्टेट सीआईडी की एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स के साथ मिलकर उन सभी दवा निर्माण कंपनियों का औचक निरीक्षण किया, जिन्हें मनोदैहिक दवाएं बनाने का लाइसेंस मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा और खुफिया इनपुट के आधार पर निर्माण, थोक व खुदरा स्तर पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि जिन कंपनियों को अवैध गतिविधियों में शामिल पाया जाएगा, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।