न्यूज़ फ्लिक्स भारत। ओबेरॉय परिवार के अरबों डॉलर के साम्राज्य को लेकर दो बहनों के बीच लड़ाई शुरू हो गई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ओबेरॉय फैमिली के बीच चल रहे विवाद में फैसला सुनाया है. जिसमें EHI लिमिटेड , ओबेरॉय होटल्स प्राइवेट लिमिटेड और ओबेरॉय प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों के ट्रांसफर पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी गई है. यह मामला दिवंगत पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय की वसीयत पर आधारित है, जिसे उनकी बेटी अनास्तासिया ओबेरॉय ने चुनौती दी है. अनास्तासिया ने अपने भाई-बहन, विक्रमजीत, नताशा, और चचेरे भाई अर्जुन पर वसीयत के क्रियान्वयन में बाधा डालने का आरोप लगाया है.
बता दें कि 25 अक्टूबर 2021 की वसीयत और 27 अगस्त 2022 की कोडिसिल से ये विवाद और भी जटिल हो चुका है. ओबेरॉय की बेटी अनास्तासिया ने दावा किया है कि वसीयत में उनके पिता ने EHI लिमिटेड और ओबेरॉय होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों का आधा हिस्सा उनके और AO ट्रस्ट के लिए छोड़ा है, जिसमें वह इकलौती लाभार्थी हैं. लेकिन, उनके भाई-बहनों ने इस वसीयत को कोर्ट में चुनौती दी है और 20 मार्च 1992 की एक पुरानी वसीयत पेश की है. उनका दावा है कि एक मौखिक पारिवारिक समझौता हुआ था, जो बाद की वसीयत पर लागू होना चाहिए.
इस मामले में हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि पृथ्वी सिंह ओबेरॉय के किसी भी शेयर का ट्रांसफर या ट्रांसमिशन नहीं किया जाएगा. हालांकि, रेगुलेटरी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर कंपनी में एक क्लास-A शेयर को एक नामित पार्टी को ट्रांसफर करने की इजाजत दी गई है. इस शेयर का इस्तेमाल सिर्फ नियामक उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा और इसके वोटिंग अधिकार सामान्य बैठकों में नहीं होंगे.
कोर्ट ने अनास्तासिया ओबेरॉय को दिल्ली के कापसहेड़ा में स्थित जमीन और बिल्डिंग्स के कब्जे में कोई हस्तक्षेप नहीं करने का आदेश दिया है, ताकि कानूनी विवाद के दौरान संपत्ति की मौजूदा स्थिति बनी रहे. कोर्ट ने यह माना है कि अनास्तासिया की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों में वसीयत की वैधता का प्रारंभिक सबूत है और मामला काफी हद तक उनके पक्ष में है. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में फैसला आने से पहले कोई भी ट्रांसफर हुआ तो अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है. कोर्ट ने साफ किया है कि यह आदेश अस्थायी है और इसे अंतिम फैसले के तौर पर नहीं देखा जाए.