चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा किए हुए 66 वर्ष का लंबा समय बीत चुका है। तिब्बत राष्ट्र विद्रोह की 66वीं वर्षगांठ पर निर्वासित तिब्बतियों के विभिन्न संगठनों व निर्वासित तिब्बतियों व युवाओं ने बौद्ध नगरी मैक्लोडगंज से धर्मशाला के कचहरी तक रैली निकाली। इस दौरान निर्वासित तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ नारे लगाए, साथ ही जल्द तिब्बत की आजादी की उम्मीद भी जताई। चीन सरकार द्वारा तिब्बत में तिब्बतियों पर किए जा रहे अत्याचारों को बंद करने के लिए चीन पर दबाव बनाने की अपील भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की गई। रैली में तिब्बत समाज के हर वर्ग सहित विदेशियों ने भी भागीदारी सुनिश्चित की।
अमेरिका से यूरोप तक चीन का बहिष्कार : छुंडू
तिब्बतियन यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तेन्जिन छुंडू ने कहा कि 66 साल हो गए, चीन द्वारा तिब्बत की आजादी छीने हुए। 66 वर्षों की मेहनत के बाद अब हम उम्मीद की ओर बढ़ रहे हैं कि तिब्बत फिर से आजाद हो। चीन की ओर से भारत पर दबाव बनाकर घुसपैठ व हमले किए जा रहे हैं, वो बंद हों। चीन की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है, चीन राष्ट्रपति अकेले पड़ रहे हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप तक सभी देश चीन का बहिष्कार कर रहे हैं। हम लंबे समय से तिब्बत की आजादी का सपना देख रहे हैं, जो कि जल्द पूरा होने वाला है। अंग्रेज भारत को छोडक़र नहीं गए थे, बल्कि उन्हें जाना पड़ा था, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेज, भारत में शासन करने की स्थिति में नहीं थे, उसी तरह वर्तमान में चीन अंदर से खोखला हो चुका है, चीन सरकार गिरने जा रही है, जिसके चलते तिब्बत की आजादी की लहर चल रही है।
हमारे पास सच और सच जीतेगा : डोलमा
तिब्बतियन वुमेन एसोसिएशन की अध्यक्ष छेरिंग डोलमा ने कहा कि तिब्बत राष्ट्र विद्रोह की वर्षगांठ पर हम तिब्बतियों के बलिदान को याद करते हैं। तिब्बत आजाद होगा, हमारे पास सच है, चीन के पास सच नहीं है, थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन हमें विश्वास है कि सच जीतेगा। भारत और अमेरिका हमारी मदद करते हैं। जिस चीन ने हमारे देश को छीना है, उसके खिलाफ नारेबाजी की जा रही है।
