पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रविवार, 8 दिसंबर 2024 को तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला। किसान संगठनों के “दिल्ली चलो मार्च” के तहत दोपहर 12 बजे किसानों ने पैदल दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश की, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें पुल पर रोक दिया। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच तीखी बहस हुई, जो बाद में झड़प में बदल गई।
पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले
किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई किसान घायल हो गए। आंसू गैस के असर से बचने के लिए कुछ किसानों ने अपने चेहरे ढक लिए, जबकि कुछ गीले बोरे और चश्मों का इस्तेमाल करते नजर आए। इसके अलावा, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का भी सहारा लिया।
मार्च स्थगित, घायल किसानों का इलाज जारी
आंसू गैस और पानी की बौछारों के बीच किसानों को कुछ कदम पीछे हटना पड़ा। किसान नेताओं ने कहा कि घायल किसानों की देखभाल के लिए मार्च को फिलहाल एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि एक गंभीर रूप से घायल किसान को चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि 8-9 अन्य किसान भी घायल हुए हैं।
पुलिस का बयान
डीएसपी शाहाबाद रामकुमार ने बताया कि सुबह से ही पुलिस की टीम बॉर्डर पर तैनात थी। उन्होंने कहा, “हमने किसानों से शांति बनाए रखने और अनुमति लेने के बाद आगे बढ़ने की अपील की थी, लेकिन असहमति के कारण यह स्थिति पैदा हुई।”
आगे की रणनीति पर बैठक के बाद फैसला
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से एक बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “आज हमने किसानों को वापस बुला लिया है। घायल साथियों के इलाज के बाद मीटिंग कर आगे की योजना तैयार करेंगे।”
इस घटना ने एक बार फिर किसान आंदोलन और प्रशासन के बीच गहराते विवाद को उजागर कर दिया है। किसान अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प ले रहे हैं।