जब किसी घर में बेटी जन्म लेती है, तो सबसे ज्यादा खुशी उसके पिता को होती है. बेटी में पिता को अपनी मां, बहन या पत्नी की छवि दिखती है, और इसी वजह से वो उसके बेहद करीब होता है. भले ही पहले से बेटा हो, लेकिन बेटी से जुड़ाव अलग ही होता है – गहरा, नाजुक और स्नेह से भरा.
भारत में हर साल सितंबर के आखिरी रविवार को “डॉटर्स डे” मनाया जाता है, जो इस खास रिश्ते की अहमियत को दर्शाता है. बेटियां घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं और पिता के जीवन में उनके आने से मानो खुशियों की बौछार हो जाती है. पिता अपनी बेटी की हर ख्वाहिश पूरी करने के लिए तत्पर रहता है, और उसके दुख में खुद को सामने खड़ा कर देता है. एमोरी यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, पिता अपनी बेटियों के साथ ज्यादा भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं. वे बेटियों की तकलीफ पर जल्दी रिएक्ट करते हैं और उनकी खुशी से उन्हें खास संतोष मिलता है.
मनौवैज्ञानिक रूप से भी देखा गया है कि विपरीत लिंग के बीच भावनात्मक जुड़ाव अधिक होता है, इसलिए बेटी-पिता का रिश्ता खुद-ब-खुद मजबूत होता जाता है. एक बेटी के लिए उसका पिता न सिर्फ संरक्षक होता है, बल्कि उसका पहला हीरो भी होता है – एक ऐसा इंसान जिस पर वह आंख बंद कर भरोसा कर सकती है. यही बंधन इस रिश्ते को उम्र भर खास बना देता है.
