इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई से भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने खुद को अलग कर लिया. इस याचिका में एक इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी गई है, जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा को कथित कैश रिकवरी विवाद में दोषी ठहराया गया था. CJI गवई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को बताया कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह उस समिति का हिस्सा थे जिसने जस्टिस वर्मा का चयन किया था. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए एक नई पीठ का गठन करना आवश्यक होगा.
क्या है मामला?
14 मार्च की रात लगभग 11:35 बजे जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक निवास पर आग लग गई. इस घटना के बाद मौके से कैश मिलने की सूचना ने विवाद को जन्म दिया. इसके परिणामस्वरूप, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागु की अध्यक्षता में एक तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसने 10 दिनों तक जांच की, जिसमें 55 गवाहों से पूछताछ की गई और घटनास्थल का निरीक्षण भी किया गया. समिति की रिपोर्ट के आधार पर, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने 8 मई को संसद से जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की सिफारिश की.
