सीटू ने बद्​दी में नए श्रम कानूनों का किया जोरदार विरोध

सीटू राज्य कमेटी के आहवान पर औद्योगिक क्षेत्र बद्​दी में भी एक धरना प्रदर्शन व नारेबाजी मजदूरों व सीटू यूनियन के कर्मचारियों द्वारा की गई। सीटू यूनियन ने प्रदेश व्यापारी प्रदर्शन के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा एक जुलाई से लागू किए नए श्रम कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने के बाद जिला अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। यूनियन के नेताओं ने मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि चार श्रम कोड को खत्म किया जाना चाहिए। एक जुलाई से ऐसी कई शर्तें श्रम कानूनों में तय कर दी गई हैं, जिनसे सीधा सीधा मजदूरों का शोषण होता है। केंद्र सरकार को इन्हें हटाना होगा। सीटू यूनियन ने सरकार से मांग की है कि श्रमिमकों के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये प्रति माह होना चाहिए। अनुबंध, आउटसोर्स, ठेका, फिक्स टर्म, कैजुअल, टेंपरेरी, मल्टी टॉस्क, मल्टी पर्पज, सैहब सोसाइटी श्रमिकों के लिए नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्हें समान वेतन व लाभ उपलब्ध होने चाहिए, अग्निवीर, आयुधवीर, कोयलावीर और अन्य निश्चित अवधि के रोजगार को समाप्त किया जाना चाहिए। असंगठित श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। इपीएफ, इपीएस और ईडीएलआई का बकाया न चुकाने वाले नियोक्ताओं पर दंडात्मक शुल्क कम करने वाली अधिसूचना को रद्द किया जाना चाहिए। एनपीएस को रद्​द किया जाना चाहिए, ओपीएस बहाल सहित अन्य कई तरह के नए नियमों में बदलाव की आवश्यकता है।

सीटू सोलन जिला कमेटी के सदस्य अनिल कौशल ने कहा कि दो फरवरी को हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के झाड़माजरी में एक इतर बनाने वाले उद्योग एनआर एरोमा के पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला। हादसे का जिम्मेदार कौन था, मृतकों के परिवारों को अब तक मुआवजा राशी नहीं मिली। उस भीषण अग्निकांड में कुल कितने लोग झुलस गए, इस बात का खुलासा अभी तक नहीं किया गया। सीटू जिला सोलन प्रशासन से गुहार लगाती है कि आग लगने के दोषी पाए जाने वालों के ऊपर कड़ी कार्यवाही करके निष्पक्ष जांच की जाए और इस हादसे में जो कर्मचारी घायल हुए है या जिनकी जान चली गई है, उनको उचित मुआवजा दिया जाए।

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