केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स (Mpox) के बढ़ते मामलों के मद्देनजर देशभर में अलर्ट जारी किया है। हालाँकि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में इसके खतरे को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से लगे बॉर्डर पर सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय ने बाहर से आने वाले यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षणों की जांच पर विशेष ध्यान देने को कहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली के तीन प्रमुख अस्पतालों – राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए नोडल सेंटर्स के रूप में नामित किया है। इन अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, जहाँ मंकीपॉक्स के मरीजों का इलाज किया जाएगा। साथ ही, केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को भी अपने अस्पतालों में मंकीपॉक्स से निपटने के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। अब तक के आंकलन के अनुसार, मंकीपॉक्स के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा कम है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आ चुके हैं। 19 अगस्त को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एक 47 वर्षीय व्यक्ति, जो हाल ही में सऊदी अरब से लौटा था, मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज के रूप में पाया गया है। इससे पहले भी पाकिस्तान में तीन मामले सामने आ चुके हैं।
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो चेचक के समान होती है। इस बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव बन जाते हैं। मंकीपॉक्स वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही सदस्य है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। हालांकि यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। यह दूसरी बार है जब इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी के रूप में मान्यता दी गई है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी और अब यह तेजी से दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल रहा है। संगठन की चिंता इस बात को लेकर है कि मंकीपॉक्स के विभिन्न प्रकोपों में मृत्यु दर में अंतर देखा गया है, जो कई बार 10% से अधिक भी रही है।
2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स के 30 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 प्रयोगशालाएँ कार्यरत हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस वर्ष अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें हो चुकी हैं।