कनाडा ने त्वरित अध्ययन वीजा कार्यक्रम (एसडीएस) को समाप्त किया, भारतीय छात्र सबसे अधिक प्रभावित

कनाडा ने अपने लोकप्रिय त्वरित अध्ययन वीजा कार्यक्रम, ‘स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम’ (एसडीएस) को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है, जिसका सीधा असर भारत समेत कई देशों के अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर पड़ने की आशंका है। यह कदम कनाडा सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के रूप में लिया गया है।

2018 में शुरू किया गया एसडीएस कार्यक्रम, खासतौर पर भारत, चीन और फिलीपीन जैसे देशों के छात्रों के लिए था। इस योजना के तहत आवेदन करने वाले छात्रों को वीजा जारी करने की प्रक्रिया में तेजी मिलती थी और उनकी स्वीकृति दर भी उच्च होती थी। एसडीएस के तहत भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन पर कार्रवाई आमतौर पर 20 कार्य दिवसों के भीतर हो जाती थी, लेकिन अब यह समय बढ़कर आठ सप्ताह तक जा सकता है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में ‘एक्स’ प्लेटफॉर्म पर लिखा था कि इस साल अंतरराष्ट्रीय छात्र परमिट की संख्या में 35 प्रतिशत की कमी की जाएगी, और अगले साल यह संख्या 10 प्रतिशत और कम हो सकती है। उन्होंने कहा था, “आव्रजन हमारी अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी है, लेकिन जब बुरे लोग प्रणाली का दुरुपयोग करते हैं, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।”

कनाडा सरकार का कहना है कि वह अस्थायी निवासियों की संख्या कम करने पर विचार कर रही है, और इसके तहत एसडीएस जैसी योजनाओं को समाप्त किया गया है। भारतीय उच्चायोग ने इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा में सबसे ज्यादा विदेशी छात्र भारतीय हैं, जहां अनुमानित 4,27,000 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

इस फैसले का असर केवल भारतीय छात्रों पर ही नहीं, बल्कि नाइजीरिया जैसे देशों के छात्रों पर भी पड़ेगा, क्योंकि ‘नाइजीरिया स्टूडेंट एक्सप्रेस’ (एनएसई) योजना भी एसडीएस के साथ ही समाप्त कर दी गई है।

आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) ने एक बयान में कहा कि वह सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए समान और निष्पक्ष आवेदन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, हालांकि अब वीजा आवेदन प्रक्रिया पहले से अधिक समय ले सकती है।

इस फैसले को कनाडा और भारत के बीच बढ़ते कूटनीतिक विवाद के संदर्भ में देखा जा रहा है, जो इस समय अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है।