बांग्लादेश में हाल ही में आरक्षण को लेकर शुरू हुए आंदोलन ने जिहादी रंग ले लिया है, जिसके परिणामस्वरूप हिंदू शिक्षकों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में कम से कम 49 शिक्षकों को जिहादी ताकतों द्वारा अपने पदों से जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है।
शेख हसीना की सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद देश में राजनीतिक अराजकता फैल गई है, और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएँ तेजी से बढ़ी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5 अगस्त को छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के दौरान देशभर में अल्पसंख्यक समुदायों के शिक्षकों पर हमला किया गया, जिसमें बारिसल के सरकारी ब्रजमोहन कॉलेज की अंग्रेजी की प्रोफेसर शुक्ला रानी हलदर भी शामिल हैं।
हैरानी की बात यह है कि इन गंभीर घटनाओं के बावजूद, मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अब तक इस पर चुप्पी साध रखी है। एक्स पर एक पोस्ट में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने कहा कि “देश में अल्पसंख्यक शिक्षकों की सामूहिक हत्या और इस्तीफों की घटनाओं ने शिक्षा के माहौल में असहिष्णुता को बढ़ावा दिया है, जो भविष्य में और भी गंभीर परिणाम ला सकता है।”
बांग्लादेश से आ रही रिपोर्ट्स और वीडियोज से पता चलता है कि स्थिति और भी खराब हो सकती है, क्योंकि अल्पसंख्यकों के खिलाफ यह हमले देश के विभिन्न हिस्सों में फैल रहे हैं।