असम विधानसभा ने बहुविवाह पर रोक लगाने वाला ऐतिहासिक विधेयक पारित किया है। नए कानून के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा बहुविवाह करना दंडनीय अपराध होगा और दोषी को सात साल तक की जेल तथा 1.40 लाख रुपये तक का मुआवजा देना होगा। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि यह कदम असम में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की दिशा में पहला बड़ा प्रयास है। विधेयक में बहुविवाह को ऐसे विवाह के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें एक पक्ष पहले से विवाहित हो और उसका विवाह कानूनी रूप से समाप्त न हुआ हो।
इस कानून के प्रावधान अनुसूचित जनजाति (एसटी) और छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे। यदि कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा शादी छिपाकर दूसरी शादी करता है तो उसे अधिकतम दस साल जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। विधानसभा में विधेयक कांग्रेस, माकपा और रायजोर दल के अनुपस्थित रहने के बीच पेश किया गया।
मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि राज्य में बहुविवाह और बहुपत्नी विवाह की प्रथाओं को रोकना इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि यदि वे फिर से सत्ता में आते हैं तो यूसीसी लागू करने के लिए इसे पहले सत्र में प्राथमिकता दी जाएगी। यह कानून असम में सामाजिक सुधार और महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।


