कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार विपक्ष के निशाने पर है. MUDA और वाल्मिकी कॉरपोरेशन घोटाले को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रही है. अब एक बार फिर एक नए घोटाले के आरोप लग रहे है. इस बार पूर्व की भाजपा सरकार निशाने पर है. दरअसल कोरोना महामारी के दौरान फंड में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. इस कथित घोटाले में जस्टिस जॉन माइकल डी कुन्हा ने सरकार को एक प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट पर गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में चर्चा भी हुई.
बता दें कि कोरोना के समय कर्नाटक में भाजपा की बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थी, ऐसे में कोरोना फंड में गड़बड़ी का आरोप पूर्व की बीजेपी सरकार पर लग रहे हैं. आरोप है कि करोड़ों रुपये के फंड की कथित हेराफेरी की गई. वहीं, मीडिया रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि जस्टिस कुन्हा की समिति को घोटाले से जुड़ी कई फाइलें गायब मिली हैं. राज्य में कोरोना के दौरान कुल 13 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे. हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई आंकड़ा नहीं बताया गया है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि कोरोना फंड में से करीब एक हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई.
घोटाले की जांच रिपोर्ट को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी पेश किया जा सकता है. वहीं, सरकार ने जस्टिस कुन्हा समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया है ताकि अंतिम रिपोर्ट पेश की जा सके. एक हजार पन्ने की जस्टिस कुन्हा समिति की रिपोर्ट का अब सरकारी अधिकारियों द्वारा विश्लेषण किया जाएगा और एक महीने के भीतर सरकार को पेश किया जाएगा.