दिल्ली ब्लास्ट और फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल की जांच में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी लगातार सेंटर ऑफ़ इंटरस्ट बनी हुई है। खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि कई देशव्यापी धमाकों में यूनिवर्सिटी से जुड़े छात्र मिर्ज़ा शादाब बेग शामिल थे। 2007 के अहमदाबाद धमाकों से लेकर गोरखपुर, जयपुर और अहमदाबाद–सूरत विस्फोटों में उसका नाम सामने आया। इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग में प्रशिक्षित बेग ने बम बनाने और आतंकी गतिविधियों की योजना में अहम भूमिका निभाई। 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन के खुलासे के बाद से वह फरार है और अफगानिस्तान में उसकी लोकेशन बताई जाती है।
इसके अलावा, दिल्ली में लालकिले के पास कार धमाके के आरोपी डॉ. उमर नबी का भी यूनिवर्सिटी से लिंक सामने आया। यूनिवर्सिटी पर आतंकी गतिविधियों के साथ-साथ धोखाधड़ी के आरोप भी हैं। ED ने अल-फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को PMLA 2002 के तहत गिरफ्तार किया। आरोप है कि यूनिवर्सिटी ने झूठा दावा किया कि उसे NAAC और UGC की 12(B) मान्यता मिली है, जबकि यह केवल धारा 2(f) में पंजीकृत है।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का इतिहास 1995 में शुरू हुआ, लेकिन इसके छात्र आतंकियों में शामिल होने और वित्तीय धोखाधड़ी के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, यूनिवर्सिटी आतंकियों की योजना और प्रशिक्षण का केंद्र रही है, जिससे देश की सुरक्षा को गंभीर चुनौती मिली है।


