प्रयागराज महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ और उसमें मारे गए लोगों को लेकर विवाद छिड़ गया है. बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इस भगदड़ में 37 नहीं बल्कि 82 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, इस रिपोर्ट को सोशल मीडिया पर साझा कर समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है.
समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर बड़े सवाल उठाए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, तथ्य बनाम सत्य : 37 बनाम 82, सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें. सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही ज़रूरी होता है.
भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं। झूठे आँकड़े देनेवाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा.
सवाल सिर्फ़ आँकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है और इस बड़ी बात का भी है कि :
– ’महाकुंभ मृत्यु-मुआवज़े’ में जो राशि नक़द दी गयी, वो कैश क्यों दी गयी?
– वो कैश आया कहाँ से?
– और जिनमें वो कैश वितरित नहीं हो पाया, वो कैश वापस गया किसके हाथ में?
– नक़दी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ?
– नक़दी का वितरण किसके आदेश पर हुआ?
– नक़दी के वितरण का लिखित आदेश कहाँ है?
– नक़दी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई?
– और साथ ही यह भी कि मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया?
ये रिपोर्ट अंत नहीं, महाकुंभ में हुई मृत्युओं और उनसे जुड़े पैसों के महासत्य की खोज का आरंभ है. सत्य जब उजागर होता है, तो झूठ की परत-दर-परत खुलती है, जो स्वांग के हर चोगे और मुखौटे को उतारती जाती है, परदे उठाती जाती है. झूठ का कोई भी सूचना-प्रबंधन ऐसे सत्य को बाहर आने से नहीं रोक सकता.
