महाराष्ट्र के अहिल्यानगर के 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने वाराणसी में एक ऐसा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कार्य पूरा किया है, जिसे पिछले दो शताब्दियों में कोई नहीं कर पाया था। उन्होंने 2 अक्टूबर से 30 नवंबर तक वल्लभराम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय, काशी में शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के लगभग 2000 मंत्रों से युक्त दंडक्रम पारायण को निरंतर 50 दिनों में पूर्ण किया। इससे पहले यह उपलब्धि 200 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव द्वारा प्राप्त की गई थी।
देवव्रत की इस असाधारण उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी भूरि–भूरि प्रशंसा की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि महज 19 वर्ष की आयु में देवव्रत ने इतिहास रच दिया है, और उनका त्रुटिहीन वैदिक उच्चारण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के सांसद के रूप में यह उपलब्धि उन्हें विशेष खुशी देती है। उन्होंने देवव्रत के परिवार, गुरुओं और सहयोग करने वाले सभी संतों–विद्वानों के प्रति आभार प्रकट किया। देवव्रत के गुरु और पिता महेश चंद्रकांत रेखे हैं। उनकी उपलब्धि के सम्मान में श्रृंगेरी शारदा पीठ द्वारा उन्हें सोने का आभूषण और ₹1,11,116 की राशि भेंट की गई। इसके अतिरिक्त वाराणसी के रथयात्रा चौराहे से महमूरगंज तक एक सम्मान जुलूस भी निकाला गया।


