एक मां की अंतिम विदाई: मलबे में दबी कल्पना की कहानी

हिमाचल प्रदेश में आए भीषण विनाश ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है। इनमें से एक है रामपुर के समेज गांव की कल्पना का परिवार। 34 वर्षीय कल्पना, अपने पति जय सिंह और दो मासूम बच्चों, सात साल की अक्षिता और चार साल के आद्विक के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही थी। लेकिन 31 जुलाई की रात आई बाढ़ ने उनकी दुनिया तबाह कर दी।

एक रील में कैद अंतिम पल

बाढ़ आने से कुछ घंटे पहले कल्पना ने एक रील बनाई थी जिसमें उसने जीवन के अनिश्चितता के बारे में बात की थी। उसने कहा था, “यार लोग कहते हैं कि काम कर लो ण्ण्ण नहीं मौत आती ण्ण्ए अगर आ गई तो…, मैं इतना बड़ा रिस्क कैसे ले लूं…, अपनी जान के साथ…, अगर मैंने काम किया…, और आ गई मौत फिर… मैंने तो जिंदगी में कुछ नहीं देखा अभी….” यह रील कल्पना के जीवन का एक दर्दनाक अंत बन गई।

अधूरे सपने

कल्पना ने हाल ही में झाखड़ी के रत्नपुर में तबादला करवा लिया था और 2 अगस्त को ज्वाइनिंग देनी थी। लेकिन किस्मत ने उसे यह मौका नहीं दिया। वह अपनी बेटी और बेटे के साथ मलबे में दब गई। परिवार में अब सिर्फ जय सिंह अकेले रह गए हैं।

एक गांव का रोना

समेज गांव में अभी भी 36 लोगों का कोई पता नहीं चल पाया है। हर घर में मातम छाया हुआ है। लोग अपने अपनों को ढूंढने में जुटे हुए हैं। कल्पना की कहानी इस विनाश की गंभीरता को दर्शाती है।