PM-CM 30 दिन हिरासत में रहे तो पद छोड़ना होगा, संसद में पेश होंगे 3 बिल

केंद्र सरकार ने संसद में तीन बड़े और संवेदनशील बिल पेश करने की तैयारी की है, जिनमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के लिए एक नई शर्त शामिल है. इन बिलों के मुताबिक यदि कोई प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री किसी भी कारण से 30 दिनों तक हिरासत में रहे तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा. यह प्रस्ताव राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लाया गया है.

तीन अहम बिल-

गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025

130वां संविधान संशोधन बिल 2025

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025

अमित शाह इन बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव भी रखेंगे.

गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025

अभी तक केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था यदि वे गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होकर लंबे समय तक जेल में रहें. 1963 के अधिनियम की धारा 45 में संशोधन कर सरकार ने यह व्यवस्था की है कि यदि मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से अधिक हिरासत में रहते हैं, तो 31वें दिन उनकी कुर्सी अपने आप खाली मानी जाएगी.

130वां संविधान संशोधन बिल 2025

यह बिल देश की राजनीति में सबसे बड़ा बदलाव साबित हो सकता है. इसमें संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन किया जाएगा.

अनुच्छेद 75 के तहत प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद,

अनुच्छेद 164 के तहत राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्री,

अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री

सभी पर यह कानून समान रूप से लागू होगा। यानी अब किसी भी स्तर का नेता, यदि गंभीर अपराध में 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 में संशोधन लाकर यह प्रावधान किया जा रहा है कि यदि वहां के मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर अपराध के कारण 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहें, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा. यह संशोधन जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा.

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