सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच चुका है और अब नगर परिषद के पार्षद खुद इसकी पोल खोल रहे हैं। राजेंद्र राणा ने कहा कि वार्ड नंबर 6 में 15वें वित्त आयोग के तहत कुएं के जीर्णोद्धार के लिए जो पैसा आया था, उसे सही तरीके से खर्च नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जीर्णोद्धार के बजाय वहां मात्र टाइल लगाकर काम निपटा दिया गया। इतना ही नहीं, इन टाइलों को टेंडर प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही लगवा दिया गया जो सरकारी प्रक्रिया का खुला उल्लंघन और भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि यह पैसा कुएं के जीर्णोद्धार के लिए आया था, टाइल लगाने के लिए नहीं। बाद में जब टेंडर जारी हुआ तो उसी कुएं के लिए टेंडर प्रकिया के तहत आवेदन मंगाए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समर्थित ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए राजनीतिक दबाव में नगर परिषद ने इस फंड का दुरुपयोग किया। यह जनता के टैक्स के पैसों की खुली लूट है, जिसमें अधिकारी भी शामिल हैं।
राजेंद्र राणा ने कहा कि वार्ड नंबर 3 में शमशान घाट के पास बावड़ी का टेंडर ₹8 लाख से ज्यादा का लगाया गया, जबकि वास्तविक काम मात्र ₹2 लाख तक ही हुआ। उन्होंने कहा कि बाकी का पैसा किसकी जेब में गया, यह बड़ा सवाल है। राणा ने कहा कि सुजानपुर में “अंधेर नगरी चौपट राजा” की कहावत अब सच साबित हो रही है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि साल 2003 में, वार्ड नंबर 9 में बुजुर्गों के बैठने के लिए रेन शेल्टर का शिलान्यास हुआ था, लेकिन आज तक उस रेन शेल्टर का काम शुरू नहीं हुआ जबकि इसके लिए केंद्र से पैसा भी मिल चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई काम सुजानपुर में लंबित पड़े हैं जिनके लिए पैसा आ चुका है, लेकिन काम शुरू नहीं किया गया। जो काम हुए भी हैं, उनमें सरकारी खर्च वास्तविक से बहुत कम हुआ है, जिससे भ्रष्टाचार साफ झलकता है।
राजेंद्र राणा भ्रष्ट अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जनता की मेहनत की कमाई से अपनी जेबें भरने वाले अधिकारी आने वाले समय में अपने ऊपर कार्रवाई के लिए तैयार रहे क्योंकि जिस पैसे का वह दुरुपयोग कर रहे हैं वह जनता का पैसा है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन मामलों की तुरंत जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
