इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका की एंट्री हो गई है. अमेरिका ने 21 जून की रात को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया. इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का बयान सामने आया है. उन्होंने ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले की निंदा की साथ ही मुस्लिम देशों की चुप्पी पर नाराजगी जाहिर की.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि ईरान परमाणु शक्ति बने. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका और इजराइल यह सोचते हैं कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हट जाएगा, तो यह उनकी भूल है. उन्होंने कहा कि ईरान करबला को नहीं भूला है और वह इसे दूसरी करबला मानता है. वो अपनी गर्दन कटा लेंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं.
वहीं मुस्लिम देशों की चुप्पी पर निराशा जाहिर करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सुन्नी देश भी इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनमें इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं उन देशों को बताना चाहता हूं कि आज वो ईरान पर हमला कर रहे हैं, कल उन्हें निशाना बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि विश्व शक्तियां देख रही हैं कि अगर यह तनाव बढ़ता है, तो हर देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी. ऐसे में उन्हें इसे रोकने की कोशिश करनी चाहिए और मैं प्रार्थना करता हूं कि वे सफल हों.
