बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार मीर यार बलोच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा, उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधतते हुए कहा कि आज हम बलूच राष्ट्र आपको यह खुला पत्र उस समय लिख रहे हैं, जब सत्ताईस साल पहले 28 मई 1998 को पाकिस्तान की जिहादी सेना ने हमारी खूबसूरत धरती बलूचिस्तान पर छह परमाणु परीक्षण किए थे. नवाज शरीफ सरकार के साथ मिलीभगत करके पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से बलूचिस्तान में चघई पर्वतमाला के राजसी रस कोह पहाड़ों को जानलेवा विस्फोटों के स्थल में बदल दिया.
आज, फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट और बलूचिस्तान के देशभक्त लोग पाकिस्तान द्वारा किए गए इन परमाणु परीक्षणों के विरोध में खड़े हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि वे तत्काल कार्रवाई करें और इस क्षेत्र को और विनाश से बचाने के लिए पाकिस्तान के असुरक्षित परमाणु हथियारों को जब्त करें.
बलोच नेता ने पाकिस्तान की फौज और ISI को सीधे तौर पर आतंकी संगठनों का जन्मदाता बताया. उन्होंने दावा किया कि ISI हर महीने एक नया आतंकी संगठन बनाता है और उन्हें भारत, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, यहां तक कि अमेरिका और इजराइल के खिलाफ इस्तेमाल करता है. बलोच नेता ने कहा है कि “पाकिस्तान आतंकवाद की माँ है. जब तक इसकी जड़ें नहीं उखाड़ी जाएंगी, तब तक आतंकवाद खत्म नहीं होगा.
बलोच नेता ने दावा किया कि जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, तब बलूच जनता ने भारत का खुलकर समर्थन किया. उन्होंने पत्र में कहा है कि अगर ऑपरेशन सिंदूर एक हफ्ते और चलता तो आज हम भारत और दुनिया से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बात कर रहे होते. पत्र के अंत में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि भारत बलूचिस्तान के साथ आधिकारिक संबंध बनाए और दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोला जाए.
