सीएम सुक्खू की अपील पर दिग्गज नेताओं ने छोड़ी बिजली सब्सिडी

हिमाचल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के साधन संपन्न लोगों से बिजली सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी. सीएम सुक्खू की अपील पर बीजेपी के दिग्गज नेता पूर्व सीएम शांता कुमार और विधायक आशीष बुटेल, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार(आईटी) गोकुल बुटेल ने बिजली सब्सिडी छोड़ने का निर्णय लिया. वहीं, सरकार के मंत्रियों ने अपनी सब्सिडी छोड़ दी है, तो वहीं कांग्रेस के विधायक भी लगातार यह सब्सिडी छोड़ रहे हैं. आइए जानते हैं प्रदेश को क्या होगा बिजली सब्सिडी खत्म करने का लाभ.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में बिजली सब्सिडी पर 1400 से 1500 करोड़ रुपये सालाना खर्च हो रहे हैं. वहीं, हिमाचल में रोजाना 390 लाख यूनिट बिजली की मांग है, जबकि राज्य बिजली बोर्ड केवल 17 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करता है. तो वहीं 92 प्रतिशत बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली को बाहरी राज्यों से खरीदना पड़ता है. जिस कारण महंगी दरों पर बिजली खरीदकर सस्ती दरों पर उपभोक्ताओं को देने से बिजली बोर्ड को 3100 करोड़ रुपये तक नुकसान हो रहा है. बिजली सब्सिडी खत्म करने से प्रदेश सरकार को हर साल लगभग 1400 से 1500 करोड़ रुपये की बचत होगी और बिजली बोर्ड का घाटा कम होगा. सब्लिडी खत्म करने से उत्पादन और वितरण के बीच का अंतर घटेगा.

आइए जानते है सब्सिडी कैसे छोड़ी जा सकती है. अगर कोई भी उपभोक्ता बिजली की सब्सिडी छोड़ना चाहता है तो ऑनलाइन और ऑफलाइन  माध्यम से अप्लाई कर सकता है. ऑनलाइन प्रक्रिया में उपभोक्ता बिजली बोर्ड की वेबसाइट से फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और ऑफलाइन प्रक्रिया में सब-डिवीजन या बिजली बोर्ड के अन्य कार्यालयों से फॉर्म प्राप्त कर सकते हैं.

हालांकि, इस फैसले को लेकर कुछ विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू का कहना है कि यह कदम राज्य के वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने और सभी वर्गों के हित में है. इससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और राज्य के नागरिकों को और भी बेहतर सेवाएं मिलेंगी. इस निर्णय का लाभ केवल वित्तीय दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में भी देखा जा रहा है.

error: Content is protected !!