न्यूज़ फ्लिक्स भारत। बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदुओं को जातिवाद से मुक्त कर संगठित करने के उद्देश्य से एक पदयात्रा शुरू की है. उनका मानना है कि हिंदुओं को जातियों में बांटकर उनके वोट बांट दिए जाते हैं और यही राजनीति का हथकंडा बन जाता है. धीरेंद्र शास्त्री की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना और सनातन धर्म की रक्षा करना है.
वहीं, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इस यात्रा को एक राजनीतिक साजिश करार देते हुए इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि यह यात्रा केवल भाजपा के राजनीतिक फायदे के लिए है ताकि हिंदू जातियों में बंटे न रहें और सीधा भाजपा को वोट दें. उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को राजनीति का मोहरा तक कह दिया. अविमुक्तेश्वरानंद का यह भी मानना है कि सनातन धर्म की पहचान जाति और वर्णाश्रम से है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह पहचान खत्म हुई तो सनातन धर्म का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है.
शंकराचार्य स्वामी अविमुकतेश्वरानंद ने कहा कि आंदोलन तो इसके लिए होना चाहिए कि वर्णआश्रम को मानते हुए हम किसी से घृणा नही करें न ही किसी को नीचा दिखाएं जब हम जाति ही छोड़ देंगे तो हम अपनी पहचान भी खो देंगे. वहीं, पुरी के शंकराचार्य ने तो यहां तक कह दिया कि इस आदमी के हाथ का पानी तक नही पिएंगे.
