न्यूज़ फ्लिक्स भारत। झांसी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुई एक भयानक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है. यह हादसा न सिर्फ दिल दहला देने वाला था, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को भी उजागर कर गया. अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई. हादसा शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ, जिसमें वार्ड में भर्ती कुल 37 बच्चों में से कई झुलस गए. समय रहते अन्य बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया. घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच के आदेश दिए और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. यह कोई पहली घटना नहीं है. पिछले कुछ सालों में देश के अस्पतालों में ऐसी लापरवाही के चलते कई मासूमों की जान जा चुकी है. आइए जानते है कब-कब हुए ऐसे हादसे
महाराष्ट्र के भंडारा स्थित अस्पताल में साल 2021 में NICU में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी. इसके पहले साल 2019 में कोटा स्थित अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी और प्रशासनिक लापरवाही से 110 बच्चों की मौत हुई. वहीं, इसी साल दिल्ली के एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 नवजातों की जान चली गई थी. इन घटनाओं से यह सवाल खड़े होते हैं कि क्या सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम हैं? क्या सुरक्षा ऑडिट नियमित रूप से किया जा रहा है? इन हादसों में लापरवाही मुख्य कारण रही है, लेकिन दोषियों पर सख्त कार्रवाई की कमी स्थिति को और गंभीर बना देती है.
झांसी हादसे के बाद प्रशासन पर दबाव है कि वह सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दे. यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए चेतावनी है. ऐसे हादसों को रोकने के लिए बेहतर योजना, कर्मचारियों की ट्रेनिंग और आधुनिक उपकरणों की जरूरत है. वहीं, पीड़ित परिवार न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. सरकार को अब ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में कोई और परिवार ऐसी त्रासदी का शिकार न हो.